Feb. 10, 2017
by RoorkeeWeb
जिस समय चन्द्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह
साईकिल ले कर चलते थे उस समय
भीमराव अम्बेडकर भारत और इंग्लैण्ड
फ्लाइट से आते जाते थे,,
जब राम प्रसाद बिस्मिल जी भुने चने खा
कर क्रान्ति की ज्वाला में खुद जल रहे थे
तब भीमराव अंबेडकर ब्रिटेन के गवर्नर के
शाही भोज में शामिल होते थे,,
जब सारा भारत स्वदेशी के नाम पर
विदेशी कपड़ों की होली जला रहा था तब
भीमराव अम्बेडकर कोट पैंट और टाई पहन
कर चलते थे,,
जब भगत सिंह एक वकील को मोहताज़ था
तब बैरिस्टर वकील भीमराव अंबेडकर
अंग्रेज अफसरों के मुकदमे लड़ रहे थे ....
और अंत में वही बन गया भारत भाग्य
विधाता ........
उसी को मिली भारत की नींव भरने की
जिम्मेदारी ....
अंजाम सब देख रहे हैं,,
.
.
कड़वा है पर शतप्रतिशत सत्य है
शायद किसी को हजम ना हो.....
Oct. 19, 2016
by RoorkeeWeb
*आज का विचार*
*मैने पुछा भगवान से*
*कैसे तेरी पूजा करु*
*भगवान बोले* ,
*"खुद भी तु मुस्कुरा*
*औरो को भी मुस्कुराने*
*की वजह दे"*
*बस मेरी पूजा हो गई*
*GOOD MORNING JI*
Oct. 19, 2016
by RoorkeeWeb
"dil meñ kisī ke raah kiye jā rahā huuñ maiñ
kitnā hasīñ gunāh kiye jā rahā huuñ maiñ"
Oct. 18, 2016
by RoorkeeWeb
If anyone found any information related to this dog. Plz contact at the given no.
Oct. 17, 2016
by parul mishra
"Be who you are and say what you feel because those who mind don't matter and those who matter don't mind.”
“आप जो हैं वह बनें और जो सोचे वह कहें क्योंकि जो आपत्ति करते हैं वे महत्त्व नहीं रखते और जो महत्त्व रखते हैं वे आपत्ति नहीं करते।"
Oct. 15, 2016
by Parul Mishra
*आपके मंगलमय दिन की कामना*
*ऐ परिंदे!!*
*यूँ ज़मीं पर बैठकर क्यों*
*आसमान देखता है..*
*पंखों को खोल, क्योंकि,*
ज़माना सिर्फ़ उड़ान देखता है !!
*लहरों की तो फ़ितरत ही है*
*शोर मचाने की..*
*लेकिन मंज़िल उसी की होती है, जो नज़रों से तूफ़ान* *देखता है !!* *शुभप्रभात, Good Morning*
Oct. 14, 2016
by Parul Mishra
बचपन के दिन किसी भी व्यक्ति के जीवन के बड़े महत्वपूर्ण दिन होते हैं । बचपन में सभी व्यक्ति चिंतामुक्त जीवन जीते हैं । खेलने उछलने-कूदने, खाने-पीने में बड़ा आनंद आता है ।
माता-पिता, दादा-दादी तथा अन्य बड़े लोगों का प्यार और दुलार बड़ा अच्छा लगता हैं । हमउम्र बच्चों के साथ खेलना-कूदना परिवार के लोगों के साथ घूमना-फिरना बस ये ही प्रमुख काम होते हैं । सचमुच बचपन के दिन बड़े प्यारे और मनोरंजक होते हैं ।
मुझे अपने बाल्यकाल की बहुत-सी बातें याद हैं । इनमें से कुछ यादें प्रिय तो कुछ अप्रिय हैं । मेरे बचपन का अधिकतर समय गाँव में बीता है । गाँव की पाठशाला में बस एक ही शिक्षक थे । वे पाठ याद न होने पर बच्चों को कई तरह से दंड देते थे । मुझे भी उन्होंने एक दिन कक्षा में आधे घंटे तक एक पाँव पर खड़ा रहने का दंड दिया था । इस समय मुझे रोना आ रहा था जबकि मेरे कई साथी मुझे देखकर बार-बार हँस रहे थे । मैं बचपन में कई तरह की शरारतें किया करता था ।
छुट्टी के दिनों में दिन भर गुल्ली-डंडा खेलना, दोस्तों के साथ धमा-चौकड़ी मचाना, फिाई का ढेला, ईंट आदि फेंककर कच्चे आम तोड़ना, काँटेदार बेर के पेड़ पर चढ़ना आदि मेरे प्रिय कार्य थे । इन कार्यो में कभी-कभी चोट या खरोंच लग जाती थी । घर में पिताजी की डाँट पड़ती थी मगर कोई फिक्र नहीं 9 अगले दिन ये कार्य फिर शुरू ।
किसी दिन खेत में जाकर चने के कच्चे झाडू उखाड़ लेता था तो किसान की त्योरी चढ़ जाती थी वह फटकार कर दौड़ाने लगता था । भाग कर हम बच्चे अपने-अपने घर में छिप जाते थे । कभी किसी के गन्ने तोड़ लेना तो कभी खेतों से मटर के पौधे उखाड़ लेना न जाने इन कार्यों में क्यों बड़ा मजा आता था । एक बार मैं अपने मित्र के साथ गाँव के तालाब में नहाने गया ।
उस समय वहाँ और कोई नहीं था । मुझे तैरना नहीं आता था । परंतु नहाते-नहाते अचानक मैं तालाब में थोड़ा नीचे चला गया । पानी मेरे सिर के ऊपर तक आ गया । मैं घबरा गया । साँस लेने की चेष्टा में कई घूँट पानी पी गया ।
शीघ्र ही मेरे मित्र ने मुझे सहारा देकर जल से बाहर खींचा । इस तरह मैं बाल-बाल बचा । इस घटना का प्रभाव यह पड़ा कि इसके बाद मैं कभी भी तालाब में नहाने नहीं गया । यही कारण है कि अब तक मुझे तैरना नहीं आता है ।
बचपन की एक अन्य घटना मुझे अभी तक याद है । उन दिनों मेरी चौथी कक्षा की वार्षिक परीक्षा चल रही थी । हिंदी की परीक्षा में हाथी पर निबंध लिखने का प्रश्न आया था । निबंध लिखने के क्रम में मैंने ‘चल-चल मेरे हाथी’ वाली फिल्मी गीत की चार पंक्तियाँ लिख दीं ।
इसकी चर्चा पूरे विद्यालय में हुई । शिक्षकगण तथा माता-पिता सभी ने हँसते हुए मेरी प्रशंसा की । परंतु उस समय मेरी समझ में नहीं आया कि मैंने क्या अच्छा या बुरा किया । इस तरह बचपन की कई यादें ऐसी हैं जो भुलाए नहीं भूल सकतीं । इन मधुर स्मृतियों के कारण ही फिर से पाँच-सात वर्ष का बालक बनने की इच्छा होती है । परंतु बचपन में किसी को पता ही कहाँ चलता है कि ये उसके जीवन के सबसे सुनहरे दिन हैं ।
Oct. 14, 2016
by Parul Mishra
धूप बरखा पाला सहता,
फिर भी कुछ न किसी से कहता।
हम पर छाया करता पेड़,
हमको फल देता है पेड़।
Oct. 14, 2016
by Parul Mishra
एक हमारे ईश्वर अल्लाह।
एक हमारे राम रहीम,
एक हमारे मंदिर मसजिद,
एक हमारे कृष्ण करीम।।
Oct. 14, 2016
by Nitin Kumar
फूलों की सुगंध केवल वायु की दिशा में फैलती है. लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई हर दिशा में फैलती है.
मुझे पता नही
पाप और पुण्य क्या है !
बस इतना पता है
जिस कार्य से किसी का
दिल दु:खे वो पाप
और
किसी के चेहरे पे
हंसी आये वो पुण्य
जय श्री राम
"आपका दिन सुंदर व मंगलमय हो"
Oct. 11, 2016
by Nitin Kumar
आपको और आपके परिवार को दशहरा की बहुत-बहुत शुभ-कामनायें.
सुख, शान्ति एवम समृध्दि की
मंगलमयी कामनाओं के साथ
महानवमी और विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं !!