छठ पूजा के दौरान रुड़की में गंगा नहर के किनारे कुछ यूँ दिखा श्रद्धालुओ का सैलाब
जब शाम के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े। छठी मैया के गीतों के संग श्रद्धालुओं ने सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। छठ पूजा के दौरान शहर के तमाम हिस्सो से लोग नहर के किनारे जमा हो जाते है और अपनी पूजा अर्चना में लग जाते हैं जैसे-जैसे सूर्य की किरणों ने धरती को स्पर्श किया, वैसे ही व्रती महिलाएं भरी कोसी और सूप-सुपली के साथ बावड़ी में कमर तक पानी में उतर गईं। उन्होंने सूर्य को अर्घ्य देकर पुत्र प्राप्ति और पति की दीर्घायु के साथ ही सुख-समृद्धि की कामना की।
शहर के बीच में स्थित पुराने पल के निकट गंगा के तट पर ऐकत्रतित लोगो का यह खूबसूरत नजारा देखने के लिए निचे गैलरी पर क्लिक करें
छठ एक हिंदू त्योहार है जो की बहुत उत्सुकता से लोगों द्वारा हर साल मनाया जाता है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जानते हैं। यह त्यौहार पति की दीर्घायु और संतान सुख की कामना के लिए मनाया जाता है। 36 घंटे के इस निर्जला व्रत के लिए भक्तजन पूर्व से ही तैयारियां प्रारम्भ कर देते है। भारत के पूर्वांचल हिस्से से शुरू हुए छठ पर्व की रौनक अब भारत के अनेक हिस्सों में दिखाई पड़ने लगी है। दीवाली के बाद से ही महिलाएं इस अनुष्ठान को लेकर तैयारियां शुरू कर देती है। ।
इस पर्व के पहले दिन व्रती महिलाएं चने की दाल, लौकी की सब्जी और रोटी का सेवन करती हैं। दूसरे दिन छोटी छठ (खरना) को रात में रसियाव (गुड़ की खीर) का सेवन करके व्रत शुरू कर देती हैं। उसके अगले दिन दिनभर व्रत रखने के साथ ही डूबते सूर्य को अर्ध्य देती हैं। उसके अगले दिन उगते सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत का पारण करती हैं। सुख समृद्धि के प्रतीक सूर्य देव की कृपा धरती के सभी जीव-जंतुओं पर बनी रहे, इसका वरदान मांगती हैं।